Thursday, October 9, 2014

नौ हाइकू


 
मेरी जगह
कोई दूसरा अब, 
मै और कही


मेघ देख तो 
झुर्रियाँ धरती की,
बरस भी जा

 
सच की जीत 
क्यों लेती है समय?
अभी क्यों नहीं? 


यादों का पुल
समय की नदी पे    
झूलता हुआ   


आग लगी है 
सड़क पे हर सूं,
लू का प्रकोप


ना जाने मेघ
है कच्चे कच्चे घर,
बरसे जाए


पानी यूं गिरा
सड़कें हुई नदी
घर टापू से


दौड़ती हवा
बर्षा को है नचाती 
इशारे पर


नाचती फिज़ा 
बारिश की धुन पे 
महक फ़ैली

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