Tuesday, October 14, 2014

ग़ज़ल



तेरी यादों मे जल के देखे 
हम भी थोड़ा पिघल के देखे 
बात मेरी वो सुनता नहीं 
अब सलीका बदल के देखे 
कोई बदलाव करके देखे 
कुर्सियाँ सब बदल के देखे  
कानों पे ना कीं हो मुझे
माजरा क्या है चल के देखे
शोर थम तो गया शहर में     
घर से बाहर निकल के देखे 

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